हरदा बोले, हरक ने किया मेरे अरमानों का ‘खून’!

 हरदा बोले, हरक ने किया मेरे अरमानों का ‘खून’!
  • बोले पूर्व सीएम, मैंने तो किया माफ पर उत्तराखंड की राह में अटकाया रोड़ा, विकास में एक साल पिछड़ गया प्रदेश

देहरादून। आज बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एनडीटीवी को दिये एक इंटरव्यू में अपने सधे हुए अंदाज में साबित कर दिया कि भले ही 2016 में हरक सिंह रावत ने उनकी सरकार गिरा दी हो, लेकिन वो अभी ‘पहाड़’ ही हैं। अब हरक को भी ‘पहाड़’ के नीचे आने से यह खूब अच्छी तरह महसूस हो रहा होगा।
अपने टीवी इंटरव्यू में हरीश रावत ने साफ कहा कि हरक सिंह ने 2016 में उनके अरमानों का ‘खून’ कर दिया था। करीब 45 हजार करोड़ का बजट लटक गया और उत्तराखंड विकास में करीब एक साल पिछड़ गया। हरदा ने कहा कि उन्होंने तो हरक को माफ कर दिया है, लेकिन उनको पार्टी में लेने या न लेने का फैसला आलाकमान को करना है। हालांकि पार्टी नेतृत्व जो निर्णय लेगा, वह उसका पालन करेंगे। खास बात यह है कि इंटरव्यू के दौरान हरदा की जो भाव भंगिमा थी, उससे नहीं लग रहा कि हरक की कांग्रेस में आने की राह में लाल कालीन बिछने वाला है।  

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पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की कांग्रेस पार्टी में जॉइनिंग नहीं हो पाई है। कहा जा रहा है कि पूर्व सीएम हरीश रावत के कारण ऐसा हो रहा है। जबकि हरीश रावत का कहना है कि व्यक्तिगत तौर पर तो वह उन्हें (डॉ. हरक) बहुत पहले माफ कर चुके हैं, लेकिन यह मामला व्यक्तिगत नहीं है। उन्हें घाव लगा है, इसलिए हो सकता है, वह निष्पक्ष होकर निर्णय नहीं ले पाएं, लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा, वह उसके साथ होंगे।
इससे पहले डॉ. हरक सिंह के मुद्दे पर मीडिया से बातचीत करते हुए हरदा ने कहा था कि इस मामले में वह पिक्चर में नहीं हैं। पार्टी का जो निर्णय होगा, वह उसे मान लेंगे। हरक अगर यह कह रहे हैं कि मैंने माफी दे दी है तो यह हरीश रावत का व्यक्तिगत मामला नहीं है। वह तो इस बात को अपने मन से बहुत पहले ही हटा चुके हैं। बकौल हरीश, हमारे जीवन में यह घटना होनी थी, हो गई, हम इसे झेल रहे हैं। हम ही क्या, सभी उसका परिणाम झेल रहे हैं।
उस दौरान यदि तीन-चार माह और सरकार रहती तो काम करने के तमाम अवसर मिलते। लेकिन इन्होंने (हरक सिंह) ऐसा नहीं होने दिया। इन्होंने सरकार का एक प्रकार से पूरा एक वित्तीय वर्ष खत्म कर दिया। इस दौरान उत्तराखंड के विकास का जो नुकसान हुआ, उसका सवाल बड़ा है। लोकतंत्र का नुकसान हुआ, उसका भी सवाल है। इसके लिए आप (हरक सिंह) भले ही सार्वजनिक रूप से बात करें या माफी मांगे, लेकिन यह पार्टी को देखना है कि इनके आने से फायदा है या नुकसान है। यह पार्टी को तय करना है, मैं इस मसले पर नहीं फंसना चाहता हूं। हरीश ने कहा कि उन्हें घाव लगा था, इसलिए हो सकता है, वह निष्पक्ष तरीके से नहीं सोच पा रहे हों। वह इतना ही कहना चाहते हैं कि पार्टी के सामूहिक निर्णय में हरीश रावत का निर्णय भी शामिल होगा।

Khabri Bhula

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