उत्तराखंड में है छोटा अमरनाथ…जहां अकर लगे हैं बाबा बर्फानी अकर

चमोली/जोशीमठ । यूँ ही उत्तराखंड को धरती का स्वर्ग नहीं कहा जाता है। यहां की खूबसूरत धरती के कण कण में भगवान का वास है। यहां कई ऐसे धार्मिक स्थल है, जहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। उत्तराखंड असंख्य मंदिरों का घर है, जिनमें से कई पौराणिक काल से संबंध रखते हैं। तो कई जगहें ऐसी भी हैं जहां भगवान खुद भक्तों के लिए विराजमान हैं। ऐसा ही चमत्कारी है उत्तरखंड का छोटा अमरनाथ या आप इन्हें बाबा बर्फानी भी कह सकते हैं।  सीमांत जनपद चमोली जिले में भारत-चीन सीमा पर बर्फ से ढके गढ़वाल हिमालय की गोद में बसा है उत्तराखंड का अमरनाथ। जिसे बर्फानी बाबा या टिंमरसैंण महादेव के नाम से जाना जाता है। जम्मू कश्मीर के अमरनाथ की तरह ही यहां बाबा बर्फानी भक्तों को दर्शन देते हैं।

सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ ब्लॉक की प्रसिद्व नीति घाटी के अंतिम गांव से एक किमी पहले टिम्मरसैंण में पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर  विराजमान शिवलिंग पर पहाड़ी से टपकने वाले जल से हमेशा अभिषेक होता रहता है। इसी शिवलिंग के पास बर्फ पिघलने के दौरान प्रतिवर्ष बर्फ शिवलिंग का आकार लेता है। गुफा में करीब 10 फीट तक ऊंचे शिवलिंग के दर्शन होते हैं। इसे छोटा अमरनाथ, उत्तराखंड की अमरनाथ गुफा और बर्फानी बाबा भी कहते है। इसके अलावा सात से अधिक छोटे शिवलिंग भी बड़े शिवलिंग के इर्द गिर्द उभरते हैं। जिस स्थान पर बर्फ का शिवलिंग दिखाई देता है, उसे स्थानीय लोग बबूक उडियार के नाम से जानते हैं। यहां पर दिसंबर से अप्रैल के बीच बर्फ के शिवलिंग के दर्शन होते हैं। भारत-तिब्बत-चीन सीमा होने के चलते नीति घाटी पहले इनर लाइन के अंतर्गत आती थी जिस वजह से इस स्थान पर जाने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती थी। लेकिन प्रदेश सरकार के प्रयासों से केंद्र ने नीती घाटी को इनर लाइन से बाहर कर दिया है। जिससे श्रद्धालु बिना रोक टोक बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकते हैं। 

हर वर्ष ठंड के आगमन में धीरे-धीरे बाबा बर्फानी आकार लेने लगते हैं। इस वर्ष भी क्षेत्र में ठंड बढ़ने से गुफा भी बर्फ से ढक गई है और बाबा बर्फानी आकार ले रहे हैं। जिसके चलते श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंचने लगे हैं। एक वक्त था जब गुफा में बनने वाले शिवलिंग के बारे में केवल स्थानीय लोगों को ही पता था, पर धीरे-धीरे इस क्षेत्र की ख्याति दूर-दूर तक फैल रही है। नीती घाटी के ग्रामीण गुफा में नित्य पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए चमोली जनपद के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। देशी-विदेशी पर्यटक भी टिम्मरसैंण महादेव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। दिसंबर से मार्च तक नीती घाटी के गांव बर्फ के आगोश में रहते हैं। अप्रैल में बर्फ पिघल जाने के बाद बाबा बर्फानी के दर्शन होते हैं। इसी के साथ ही सावन के महीने में भी यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। आईटीबीपी के हिमवीर भी यहां पर भोले के दर्शन करने के बाद ही आगे बढते हैं। टिम्मरसैंण महादेव के प्रति लोगों की आस्था और प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण यह क्षेत्र तीर्थाटन तथा ट्राइबल टूरिज्म के रूप में विकसित हो रहा है।

Khabri Bhula

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *