जनरल रावत की मौत से आईएमए में शोक की लहर, इतिहास में पहली बार कार्यक्रम किए गए स्थगित
देहरादून। तमिलनाडु के कुन्नूर में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के देहांत के बाद भारतीय सैन्य अकादमी ने गुरुवार को होने वाले सभी कार्यक्रमों को स्थगित कर दिए हैं। इसी के तहत आज होने वाली कमांडेंट परेड यानी की अंतिम रिहर्सल परेड को भी रद्द कर दिया है। वहीं, आईएमए में 11 दिसंबर को होने वाली पासिंग आउट परेड को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, आईएमए की पासिंग आउट परेड 11 दिसंबर को प्रस्तावित है, जिसमें राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के साथ सीडीएस जनरल रावत को भी आना था। जनरल रावत की मृत्यु के शोक के चलते आईएमए की ओर से गुरुवार को आपात बैठक बुलाई गई है। जिसमें पीओपी की तिथि बदलने पर निर्णय हो सकता है। अकादमी की जनसंपर्क अधिकारी कर्नल हिमानी पंत ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पीओपी के संदर्भ में अग्रिम निर्णय विचार-विमर्श व आर्मी हेडक्वार्टर से मिलने वाले निर्देश पर गुरुवार दोपहर बाद लिया जाएगा।
आईएमए प्रशासन के मुताबिक पीओपी से जुड़े कार्यक्रम पहली बार स्थगित किए गए हैं। अगर पीओपी की तिथि बदली जाती है तो यह भी आईएमए के इतिहास में पहली बार होगा। पीओपी को लेकर आईएमए प्रशासन एक महीने पहले से तैयारी में जुटा हुआ है। इस बार 319 भारतीय और 68 विदेशी कैटेड समेत कुल 387 जेंटलमैन कैडेट पीओपी में शामिल होने हैं। पीओपी से पहले सैन्य अकादमी में दस दिन पूर्व से रिहर्सल और कमांडेंट परेड समेत पुरस्कार समारोह जैसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गुरुवार को भी कमांडेंट परेड का आयोजन होना था, लेकिन बुधवार को हेलीकॉप्टर दुर्घटना का समाचार मिलने के बाद से अकादमी में शोक की लहर है। सीडीएस जनरल बिपिन रावत का आईएमए से खासा जुड़ाव रहा है। वह आईएमए से ही पास आउट हुए हैं। जून-2017 में जनरल रावत ने बतौर सेनाध्यक्ष पीओपी की सलामी भी ली थी।
साहसिक फैसले लेने के लिए जाने जाते थे जनरल रावत…
जनरल बिपिन रावत सख्त और साहसिक फैसले लेने के लिए जाने जाते थे। देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने से पहले जनरल रावत थल सेना प्रमुख थे। उन्होंने इस पद पर रहते हुए कई अहम फैसले लिए और उन्हें अंजाम तक पहुंचाया। जनरल रावत के बतौर थलसेनाध्यक्ष सबसे अहम मिशन की बात की जाए तो वह बालाकोट एयर स्ट्राइक है। फरवरी 2019 में जब पाकिस्तान में घुसकर आतंकी कैंपों को नष्ट किया गया था तो थल सेना की कमान जनरल रावत के हाथ में ही थी। जनरल बिपिन रावत कई महत्वपूर्ण रणनीतिक ऑपरेशन का हिस्सा रहे। बालाकोट में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के ठिकानों पर हमला कर उन्हें नष्ट करने के दौरान बतौर थलसेनाध्यक्ष उन्होंने रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। सिर्फ युद्ध के मैदान में ही नहीं बल्कि उन्होंने कई ऐतिहासिक पहल भी की हैं। भारतीय सेना में अब किस तरह महिलाओं को ‘लड़ाकू’ की भूमिका में तैनात करने का खाका तैयार किया जा रहा है। यह जनरल रावत की ही पहल रही कि अब थलसेना में भी महिला को जनरल ड्यूटी में भर्ती किया जा रहा है।