उत्तराखंड में धार्मिक यात्राओं के लिए बनेगी धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद
देहरादून। देवभूमि में चारधाम समेत अन्य प्रमुख धार्मिक यात्राओं और मेलों के बेहतर प्रबंधन व सुव्यवस्थित संचालन के दृष्टिगत राज्य में उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद जल्द ही अस्तित्व में आएगी। उत्तराखंड में धार्मिक यात्राओं और मेलों के बेहतर प्रबंधन और सुव्यवस्थित संचालन के लिए अब एक नई संस्था का गठन किया जाएगा। इस परिषद का मुख्य उद्देश्य चारधाम यात्रा और राज्य के अन्य प्रमुख धार्मिक आयोजनों को बेहतर तरीके से संचालित करना होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में निर्देश दिए हैं कि इस परिषद का गठन शीघ्र किया जाए।
मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में लिया गया निर्णय
चारधाम की शीतकालीन यात्रा की समीक्षा बैठक में पर्यटन विभाग द्वारा उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद के गठन का प्रस्ताव रखा गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए कि इस परिषद के गठन की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जाए। राज्य में सालभर धार्मिक यात्रा और मेले होते हैं, लेकिन कई बार इन्हें बेहतर ढंग से प्रबंधित करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि समय पर तैयारियां नहीं हो पातीं।
गंगोत्री यात्रा में समस्याओं का सामना
इस साल चारधाम यात्रा के दौरान गंगोत्री की यात्रा में कुछ समस्याएं सामने आईं। इन समस्याओं को देखते हुए राज्य में ऐसी परिषद का गठन करने की आवश्यकता महसूस हुई, जो धार्मिक यात्राओं और मेलों का बेहतर प्रबंधन कर सके। इसी दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं, ताकि यात्रा और मेलों का संचालन सुगम और सुरक्षित हो सके।
परिषद की संरचना और कार्य
उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद की तीन प्रमुख समितियां बनाई जाएंगी।
- नीति निर्धारण एवं मार्गदर्शन समिति: यह समिति धार्मिक यात्राओं और मेलों के लिए नीतियां बनाएगी और इनके आयोजन को सुरक्षित, सरल और व्यवस्थित बनाने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करेगी।
- नियोजन एवं समन्वय समिति: इस समिति का काम नीतियों और दिशा-निर्देशों का सही तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा।
- क्रियान्वयन प्रबंधन और नियंत्रण समिति: यह समिति यात्रा और मेलों के आयोजन, प्रबंधन और नियंत्रण की जिम्मेदारी संभालेगी और हर वर्ष की कार्ययोजना तैयार करेगी।
यात्राओं की सूची और कार्यान्वयन
पहले चरण में परिषद के अधीन चारधाम यात्रा, आदि कैलाश, पूर्णागिरी यात्रा और श्रीनंदा राजजात को लाया जाएगा। धीरे-धीरे अन्य प्रमुख धार्मिक यात्राओं और मेलों को भी इस परिषद के अधीन किया जाएगा।
चारधाम यात्रा की वहन क्षमता का आंकलन
इसके साथ ही चारधाम की यात्रा के लिए वहन क्षमता का भी आंकलन किया गया है।
- केदारनाथ के लिए 17,894
- बदरीनाथ के लिए 15,088
- गंगोत्री के लिए 9,016
- यमुनोत्री के लिए 7,881 यात्री प्रतिदिन की वहन क्षमता आंकलित की गई है।
इस तरह, उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद का गठन धार्मिक यात्राओं और मेलों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।