उत्तराखंड : … अब तेरा क्या होगा रणजीत!
- बागी होकर निर्दलीय उतरने और 11 दावेदारों के लिए पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की चर्चायें भी जोरों पर
रामनगर (नैनीताल)। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का रामनगर से टिकट फाइनल होने पर अब सबकी निगाहें रणजीत रावत पर टिक गई हैं कि अब उनका क्या होगा? उनके बगावत करने, निर्दलीय या नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की चर्चायें सियासी गलियारों में तैरने लगी हैं। हालांकि बदले घटनाक्रम में रणजीत अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
गौरतलब है कि 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर हारने के बाद रणजीत रावत रामनगर में पूरी तरह से सक्रिय रहे हैं। इस बाद उन्हें उम्मीद थी कि वह रामनगर से चुनाव जीतेंगे, लेकिन उनके राजनीतिक गुरु के यहां से टिकट फाइनल होने पर उनकी हसरतों पर तो पानी फिर ही गया है। इसके साथ ही उनके सामने अपना सियासी वजूद बचाने का संकट भी खड़ा हो गया है।
अब इस तरह की चर्चायें हैं कि अगर रणजीत सिंह बागी हो सकते हैं तो निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं। चर्चा यहां तक भी है कि वह 11 दावेदारों के लिए पार्टी बनाकर चुनाव लड़ सकते हैं। अभी उनके रामनगर निवास पर समर्थकों के साथ बैठक चल रही है। दूसरी ओर रणजीत सिंह रावत ने खुद बताया कि जो प्रत्याशियों की लिस्ट जारी हुई है, वह आधिकारिक नहीं है। अधिकारिक सूची जारी होने के बाद ही वह अपना आधिकारिक बयान जारी करेंगे।
दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा भले ही घोषित न हुआ हो, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस समय कांग्रेस के लिए पूरे प्रदेश में सबसे बड़ा चेहरा हैं। ऐसे में हरीश के चुनाव लड़ने या लड़ाने को लेकर सस्पेंस अब खत्म हो गया है। रामनगर सीट पर हरीश रावत समर्थक पहले ही माहौल बनाने में लगे हुए थे। यह बात अलग है कि हरीश के लिए रामनगर सीट पर रणजीत रावत ही सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि रणजीत के हरीश रावत के साथ पारिवारिक संबंध रहे हैं और पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार में रणजीत मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार हुआ करते थे, लेकिन 2017 के बाद बदले घटनाक्रम में गुरु चेले की राह अलग हो गई। रामनगर से हरीश चुनाव लड़ रहे हैं तो यह सीट एक वजह से भी हॉट हो गई है। रामनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर हरीश रावत के चुनाव लड़ने से अब यह हॉट हो गई। पहली बार होगा जब रामनगर सीट पर मामा-भांजा आमने-सामने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। हरीश रावत व दीवान सिंह बिष्ट आपस में मामा-भांजा हैं। दोनों रिश्तेदार पहली बार आमने-सामने आए हैं।