उत्तराखंड के लिये गौरव का क्षण : सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस धूलिया ने ली शपथ

 उत्तराखंड के लिये गौरव का क्षण : सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस धूलिया ने ली शपथ

नई दिल्ली/नैनीताल। आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को दो नए जज मिल गए हैं। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाले पांच जजों के कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को भेजी सिफारिश में गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुधांशु धूलिया और गुजरात हाईकोर्ट के जज जस्टिस जमशेद बी परदीवाला को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नियुक्ति दे दी थी। आज दोनों जजों ने सुप्रीम कोर्ट में पद और गोपनीयता की शपथ ली।
इसके साथ ही जस्टिस धूलिया उत्तराखंड हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट आने वाले दूसरे जज बन गए हैं। सीजेआई एनवी रमणा की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस खानविलकर, जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नागेश्वर राव हैं। सुधांशु धूलिया मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं और वह उत्तराखंड हाईकोर्ट के भी न्यायाधीश रह चुके हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में 32 न्यायाधीश हैं, वर्तमान में 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या में से 2 रिक्तियां हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इन  रिक्तियों को भरने के लिए तैयार है क्योंकि 10 मई और 7 जून को जस्टिस विनीत सरन और एल नागेश्वर राव की सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
जस्टिस धूलिया का जन्म 10 अगस्त 1960 को लैंसडाउन, पौड़ी गढ़वाल में हुआ था और उनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून और इलाहाबाद में हुई। वह सैनिक स्कूल लखनऊ के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ में स्नातक किया है। न्यायमूर्ति धूलिया 1986 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बार में शामिल हुए और 2000 में इसके गठन पर अपने गृह राज्य उत्तराखंड में स्थानांतरित हो गए। वह उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पहले मुख्य स्थायी वकील थे और बाद में उत्तराखंड के लिए एक अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे। उन्हें 2004 में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। वहीं नवंबर 2008 में उत्तराखंड के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में जस्टिस धूलिया को पदोन्नत किया गया था।
बाद में जस्टिस धूलिया 10 जनवरी 2021 को असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। जस्टिस धूलिया का गांव पौड़ी जिले के मदनपुर में है। जैसे ही आज जस्टिस सुधांशु धूलिया ने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली, उनके गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। उत्तराखंड के अधिवक्ताओं में भी खुशी की लहर है। न्यायमूर्ति धूलिया के दादा भैरव दत्त धूलिया स्वतंत्रता सेनानी थे। वो कर्म भूमि अखबार के सम्पादक भी रहे. पिता केसी धूलिया इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे हैं। न्यायमूर्ति धूलिया से पूर्व उत्तराखंड निवासी न्यायमूर्ति पीसी पंत भी सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश रह चुके हैं।
कोटद्वार के एडवोकेट जसवीर राणा ने कहा कि हमें इस बात पर गर्व है कि हमारे क्षेत्र से एक न्यायप्रिय विद्वान न्यायाधीश देश की सबसे बड़ी अदालत के जज बने हैं। कोटद्वार के सभी अधिवक्ताओं की ओर से जस्टिस धूलिया को बधाई प्रेषित करते हुए गृह जनपद कोटद्वार आने का निमंत्रण देते हैं।  न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया के मूल गांव के ग्राम प्रधान प्रभाकर डोबरियाल बताते हैं कि 2021 अगस्त में सुधांशु धूलिया गांव मदनपुर आये थे। गांव के कुल देवी मंदिर का जीर्णोद्धार कर प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर गांव में सपरिवार सहित आये थे और गांव वालों से स्नेह पूर्वक मिल कर सभी को उपहार भी भेंट किये थे।

Khabri Bhula

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