ओमीक्रॉन के साये के बीच विदेश से उत्तराखंड लौटे 490 लोग गायब
देहरादून। देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन ने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। गुरुवार को देश में 14 लोगों में कोरोना के नए वेरिएंट की पुष्टि हुई। इसी के साथ देश में ओमिक्रोन संक्रमितों की संख्या 87 हो गई है। इनमें सबसे अधिक महाराष्ट्र में 32 केस हैं। वहीं बात उत्तराखंड की करें तो अभी राज्य ओमीक्रोन से अछूता है लेकिन लोगों की लापरवाही के चलते ओमीक्रोन का आगमन राज्य में कभी भी हो सकता है। वहीं ओमीक्रोन खतरे के बीच राज्य में विदेश से लौटे लोगों ने सिस्टम की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल राज्य में विदेश से आए 490 लोग लापता हैं। डर है कि इनमें से कोई कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से संक्रमित न हो। उनसे स्वास्थ्य विभाग का संपर्क नहीं हो पा रहा है। किसी का नंबर बंद है तो किसी ने गलत नंबर दिया हुआ है। वहीं कई के पते भी गलत निकल रहे हैं। अब स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे लापता लोगों की सूची पुलिस को सौंपी गई है। पुलिस और एलआइयू की मदद से इनकी तलाश की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक एक नवंबर से 15 दिसंबर तक उत्तराखंड के करीब 1900 लोग विदेश से दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे। हवाई अड्डे पर उन्होंने उत्तराखंड आने की जानकारी दी पर इनमें से 490 लोग अभी तक ट्रेस नहीं हो पाए हैं। इनके फोन नंबर गलत हैं। ज्यादातर लोग अमेरिका से आए हैं, लेकिन अब इनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा के अनुसार इन लोग ने हवाई अड्डे पर फार्म में गलत विवरण भरा था। अब इनके दिए गए पते व मोबाइल नंबर के माध्यम से पता लगाने की कोशिश की जा रही है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि ये उत्तराखंड आए भी हैं या नहीं। पुलिस की मदद से प्राथमिकता के आधार पर इनकी तलाश की जा रही है
चिंता यहीं खत्म नहीं होती। अगले साल पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। सभी पार्टियां चुनावी रैलियां, जनसभाएं कर रहे हैं। इस जनसभाओं में भारी भीड़ जुट रही है। वहीं उत्तराखंड में ओमिक्रोन के खतरे के बीच राज्य में कोरोना की जांच और वैक्सीनेशन अब भी सुस्त चाल में हो रहा है। कहने के लिए प्रतिदिन बीस हजार सैंपल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है पर सैंपलिंग अभी 10-12 हजार तक ही हो पा रही है। इसमें भी ज्यादातर सैंपलिंग मैदानी जिलों में ही की जा रही है। एक समस्या ये भी है कि चुनावी माहौल में कई बड़े नेता उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। प्रोटोकॉल ड्यूटी के कारण भी सैंपलिंग का काम प्रभावित हो रहा है। वहीं, बॉर्डर पर भी सैंपलिंग के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। ऐसे में कोरोना की नई लहर की चिंता सताने लगी है।