उत्तराखंड : छात्रों से रैगिंग के मामले में प्रबंधन डाल रहा था पर्दा!
- हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में छात्रों से पूछताछ में मंडलायुक्त और डीआईजी ने रैगिंग की पुष्टि के दिये संकेत
हल्द्वानी। हाईकोर्ट के आदेश पर बीते सोमवार को मंडलायुक्त और डीआईजी की कमेटी ने मेडिकल कॉलेज पहुंचकर रैगिंग मामले की जांच की। टीम ने पांच घंटे तक वार्डन और जूनियर छात्रों से पूछताछ की। सीनियर छात्रों से पूछताछ के लिए टीम आज मंगलवार को दोबारा मेडिकल कॉलेज में मौजूद है।
सूत्रों के मुताबिक जांच में जूनियर छात्रों ने रैगिंग के बारे में विस्तार से बताया है। इस दौरान रैगिंग के कई मामले सामने आए हैं। हालांकि रिपोर्ट के बारे में अभी अधिकारी कुछ नहीं बता रहे हैं। मंडलायुक्त दीपक रावत और डीआईजी नीलेश आनंद भरणे के नेतृत्व में टीम मेडिकल कॉलेज पहुंची। टीम ने पूछताछ शुरू की जो शाम 7:15 बजे तक चलती रही। टीम ने कॉलेज प्रबंधन, छात्रों और हॉस्टल से तथ्य जुटाए। टीम ने प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी से लंबी बातचीत की। टीम में सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, एसपी सिटी हरबंस सिंह आदि थे।
घटनाक्रम के अनुसार बीते चार मार्च को कॉलेज परिसर में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के 27 से ज्यादा गंजे छात्रों का ग्रुप एक लाइन में चलते दिखा। मामला मीडिया में प्रमुखता से आने के बाद से जिला प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है। मंडलायुक्त दीपक रावत ने बताया कि राजकीय मेडिकल कॉलेज में हुई रैगिंग के मामले में कॉलेज प्रबंधन पर्दा डालने पर लगा हुआ था। कॉलेज प्रबंधन लगातार रैगिंग की बात से इनकार कर रहा था। तर्क दिया गया था कि त्वचा संबंधी रोग और डैंड्रफ होने के कारण छात्रों ने बाल छोटे करवाए थे। कोर्ट के आदेश पर रैगिंग मामले की जांच शुरू कर दी गई है। हर पहलू को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है। पूरी जांच रिपोर्ट जल्द ही उच्च न्यायालय को सौंपी जाएगी।