हरकनामा : अब चौबे जी बनेंगे छब्बे जी या फिर रह जाएंगे ‘दुबे जी’!
सियासत की शतरंज
- 35 सीटों पर प्रभाव का दावा कर आए कांग्रेस में
- पुत्रवधू अनुकृति को जिताने की ली है जिम्मेदारी
- पौड़ी की अन्य सीटों पर भी दिखाना होगा कमाल
देहरादून। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल तो हो गए हैं। लेकिन इस पार्टी में उनका सियासी कद विस चुनाव के नतीजों से ही तय होगा। अब देखना होगा कि उत्तराखंड की 35 सीटों पर अपने प्रभाव का दावा करने वाले हरक सिंह इस चुनाव में कांग्रेस के लिए क्या कमाल दिखाते हैं।
एक सियासी घटनाक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने हरक को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया तो भाजपा ने भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में देरी नहीं लगाई। इसके बाद 6 रोज तक चले सियासी तमाशे के बाद हरक सिंह को किसी तरह से कांग्रेस में एंट्री हो गई, लेकिन हरक की सारी हनक धरी की धरी ही रह गई। इसके बाद पार्टी ने उनकी पुत्रवधू अनुकृति को लैंसडौन से कांग्रेस का प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। लेकिन तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए हरक को कहीं से भी टिकट नहीं दिया।
अब सियासत की गेंद हरक सिंह के पाले में हैं। वह लंबे समय से यह दावा करते रहे हैं कि उत्तराखंड की 35 सीटों पर उनका सीधा प्रभाव है। वह कहीं से भी चुनाव लड़ेंगे तो जीत पक्की है और तमाम अन्य सीटें भी वह जितवाने का माद्दा रखते हैं। अब उन्हें यह साबित करके दिखाना होगा। ऐसा करके ही वह कांग्रेस में अपना कोई स्थान बना सकते हैं।
अनुकृति को कांग्रेस ने टिकट ही हरक सिंह रावत की ओर से दी गई जीत की गारंटी पर दिया है। ऐसे में यह सीट सीधे तौर पर उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ गई है। साथ ही पौड़ी जनपद की अन्य सीटों पर भी कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत के लिए हरक को काम करना होगा। कहा जा रहा है कि हरक ने अगर कुछ सियासी कमाल दिखाया तो 2024 में कांग्रेस उन्हें पौड़ी संसदीय सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है। अगर कोई कमाल नहीं हुआ तो हरक के लिए पनघट की डगर कठिन हो सकती है।