उत्तराखंड विस सत्र : सदन में पेश हुआ 5440 करोड़ का अनुपूरक बजट

 उत्तराखंड विस सत्र : सदन में पेश हुआ 5440 करोड़ का अनुपूरक बजट

देहरादून। आज मंगलवार को विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ तो सदन से लेकर सड़क तक हंगामा देखने को मिला। वहीं विपक्ष ने कई मुद्दों को लेकर सरकार पर हमला बोला। विधानसभा सत्र शुरू होते ही सबसे पहले सदन ने दिवंगत पूर्व विधायक केदार सिंह फोनिया को श्रद्धांजलि दी गई। विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर जसपुर विधायक आदेश चौहान ने सदन में कहा कि पुलिस द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे में उन्होंने कार्रवाई न होने पर विधानसभा के बाहर आत्मदाह करने की चेतावनी दी। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें इस मामले की जांच का भरोसा दिया। दोपहर को लंच के बाद विधानसभा में 5440 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया गया।
आज मंगलवार से शुरू विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर तक चलेगा। सबसे पहले आज सचिव विधानसभा ने राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने वाला विधेयक सदन के पटल पर रखा। जिसके बाद उत्तराखंड में 6 विधेयक अधिनियम बनाए गए। जिनमें उत्तराखंड विनियोग विधेयक 2022 पांचवा अधिनियम बनाया गया। उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपात सेवा अग्नि निवारण और अग्नि सुरक्षा (संशोधन) विधेयक 2022 को छठा अधिनियम बनाया गया। उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक 2022 सातवां अधिनियम बनाया गया। सदन में उत्तराखंड उधम एकल खिड़की सुगमता और अनुज्ञापन (संशोधन) विधेयक 2022 बना आठवां अधिनियम बनाया गया। औद्योगिक विवाद (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक 2020 नवां अधिनियम बनाया गया। उत्तराखंड सिविल विधि (संशोधन) विधेयक 2021 दसवां अधिनियम बनाया गया।
इस मौके पर हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने सदन में विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि विधायक के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है। उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्य योजनाओं से दूर रखा जाता है। उन्होंने इस मसले पर कार्रवाई की मांग उठाई। वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह इस मामले की जांच के आदेश देती हें।
सदन में 9 विधेयक पुनस्र्थापित किये गए। जो निम्न प्रकार हैं….
1. बंगाल, आगरा और असम सिविल न्यायालय ( उत्तराखंड संशोधन एवं अनुपूरक उपबन्ध) विधेयक
2. उत्तराखंड दुकान एवं स्थापन ( रोजगार विनियमन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक
3. पेट्रोलियम विवि संशोधन विधेयक
4. उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक
5. भारतीय स्टांप (उत्तराखंड संशोधन) विधेयक
6. उत्तराखंड माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक
7. उत्तराखंड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध ( संशोधन ) विधेयक
8. उत्तराखंड जिला योजना समिति (संशोधन) विधेयक
9. उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) विधेयक
इस दौरान उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश भू राजस्व अधिनियम 1901 संशोधन अध्यादेश और उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के विनियमों का संकलन सदन के पटल पर रखा गया। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के वित्तीय वर्ष 2020-21 के वार्षिक लेख की रिपोर्ट और सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिल किच्छा की वित्तीय वर्ष 2020-21 की वार्षिक लेखा प्रतिवेदन और अनुसूचित जनजाति आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन में सदन के पटल पर रखे गये। साथ ही पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों पर वार्षिक तकनीकी निरीक्षण प्रतिवेदन और उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग वार्षिक प्रतिवेदन 2020-2021 सदन के पटल पर रखा गया।
इस मौके पर उत्तराखंड कैंपा के 2017-18 और 2018-19 का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन सदन के पटल पर रखा गया। साथ ही उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का 21वां वार्षिक प्रतिवेदन और उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों, उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक 2015 सदन के पटल पर रखा गया।
इस मौके पर कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि कार्यमंत्रणा की बैठक के उलट काम हो रहा है। सरकार सदन नहीं चलाना चाहती है और सदन को जल्द खत्म करना चाहती है। प्रीतम सिंह ने पुरोला विधानसभा में मुख्यमंत्री की 132 घोषणाओं का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि मार्च में इस योजनाओं का शासननादेश जारी हुआ और 5 करोड़ की धनराशि भी योजनाओं के लिए आवंटित की गई। जिसके बाद में इन योजनाओं को विलोपित कर दिया जाता है। इन कार्यों को लेकर जांच कमेटी भी बनाई गई, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
प्रीतम सिंह ने सरकार के ‘सबका साथ सबका विकास’ नारे पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार अपनों का विकास करने में लगी है। सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है। वहीं, विपक्ष के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। सरकारें आती हैं चली जाती हैं, हमेशा आप सत्ता में नहीं रहेंगे। प्रीतम ने बंशीधर भगत पर तंज कसते हुए कहा कि वह भूल गए हैं, अब वह नहीं है। मंत्रियों को इसका जवाब देने दें। मुख्यमंत्री को चाहिए कि उन्हें मंत्री पद की शपथ दिला दें।
संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि यह प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। जिन योजनाओं को लेकर शिकायत मिली थी। उनके खिलाफ जांच में आये गए तथ्यों के अनुसार कार्रवाई की गई। लंच के बाद विधानसभा में 4867 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया गया।

Khabri Bhula

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