जलता सवाल : उत्तराखंड में आरक्षित वनों में ही क्यों लग रही आग! 24 घंटों में 31 जगह जले जंगल
देहरादून। उत्तराखंड में बीते 24 घंटे में इस फायर सीजन में सर्वाधिक 31 स्थानों पर जंगलों में आग लगी है। गढ़वाल में 17, कुमाऊं में 13 और राष्ट्रीय उद्यान में वनाग्नि की एक घटना घटित हुई। 24 घंटे में करीब 35 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान पहुंचा है।
इस वनाग्नि की घटनाओं में चिंताजनक पहलू यह है कि आग की सर्वाधिक घटनाएं आरक्षित वन क्षेत्रों में सामने आ रही हैं। बीते 24 घंटे में गढ़वाल में आरक्षित वन क्षेत्र में 14 स्थानों, जबकि वन पंचायत क्षेत्र में तीन स्थानों पर आग लगी। इसी तरह से कुमाऊं क्षेत्र में आरक्षित वन क्षेत्र में 13 स्थानों पर आग लगी।
मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने बताया कि इन घटनाओं में 30.95 हेक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र व 4.5 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इस फायर सीजन में वनाग्नि की अब तक 214 घटनाएं हो चुकी हैं। जबकि 260.16 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
उधर चमोली जिले के जंगलों में आग लगनी शुरू हो गई है। कपीरी पट्टी के किमोली सहित सिमली क्षेत्र के रयाल, कोलाडुंगरी, फलोटा व घूलाड़ि के जंगलों में सोमवार शाम से भीषण आग लगी है। आग से बांज, बुरांश, फनियाट सहित चीड़ के सैकड़ों पौधे जल गए हैं। जबकि पूरे क्षेत्र में चारों तरफ धुआं छाया हुआ है। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारी आग बुझाने में जुटे हैं। जंगलों में लगी आग से लाखों की वन संपदा जल गई है। स्थानीय लोगों गोवर्धन डिमरी, अशोक डिमरी, बीरेंद्र कुमार व जितेंद्र पंवार ने कहा कि वन विभाग प्रतिवर्ष जंगलों में पौधरोपण और आग बुझाने के लिए करोड़ों रुपये का बजट खर्च दिखाता है, इसके बावजूद न तो जंगल में हरियाली आती है और न ही आग बुझ पाती है। उन्होंने डीएफओ से जंगलों की सुरक्षा की मांग की।
बीते मंगलवार सुबह करीब सात बजे कुछ महिलाओं ने फायर स्टेशन गोपेश्वर में आकर बताया कि गोपेश्वर के नए बस स्टैंड के पास जंगल में आग लगी हुई है। सूचना पर फायर कर्मी मौके पर पहुंचे और कुछ देर में ही जंगल की आग को काबू कर लिया, जिससे जंगल का बड़ा हिस्सा जलने से बच गया।