कलम के धनी अर्जुन बिष्ट समेत इन हस्तियों को मिलेगा मैती सम्मान

 कलम के धनी अर्जुन बिष्ट समेत इन हस्तियों को मिलेगा मैती सम्मान

देहरादून। आज पत्रकारिता के बदलते स्वरूप में असली पत्रकारों का मुख्यधारा में बने रहना एक चुनौती बन गया है। लेकिन अभी कुछ पत्रकार हैं, जो अपनी लेखनी की बदौलत सरकारों के जनविरोधी फैसलों की निष्पक्ष आलोचना कर उसे बैक फुट पर लाने की कुव्वत रखते हैं। हालांकि पूर्णकालिक पत्रकारिता करने वाले कुछ चेहरे आज भी ऐसे हैं, जो अपने पेशे से अलग हटकर भी समाज के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं। ऐसे ही चुनिंदा पत्रकारों में से एक हैं राष्ट्रीय सहारा देहरादून स्टेट ब्यूरो के वरिष्ठ संवाददाता अर्जुन बिष्ट। जो किसी नाम या पुरस्कार के मोहताज नहीं रहे। इसी वजह से समाज और पर्यावरण के लिए उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए उन्हें इस बार मैती सम्मान से पुरस्कृत किया जाएगा।
करीब 27 वर्षों से पत्रकारिता की मुख्यधारा में रहकर अर्जुन बिष्ट न केवल सीमांत क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से उठाते हैं, बल्कि उत्तराखंड के जल, जंगल, जमीन, लोक व आम जनमानस के विषयों पर समय समय पर लिखते रहे हैं। उन्हें एक संवेदनशील और गंभीर पत्रकारों में गिना जाता है। वर्ष 2009 में उनकी एक स्टोरी ने राज्य सरकार को बैकफुट पर ला दिया था। यह समाचार उत्तराखंड में विभागीय नौकरियों को लेकर था, जब सरकार ने विभागीय नौकरियों को सभी के लिए ओपन कर दिया था और मूल निवास प्रमाणपत्र की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया था। अर्जुन बिष्ट के लिखी उस स्टोरी को राष्ट्रीय सहारा ने प्रथम पृष्ठ पर ‘अब उत्तराखंडियों को घर में ही नौकरी के लाले’ शीर्षक से प्रकाशित किया। जिस पर पूरे उत्तराखंड से जबरदस्त प्रतिक्रिया सामने आई और तत्कालीन सरकार को शासनादेश में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सीमांत जनपद चमोली के घेस क्षेत्र के निवासी अर्जुन बिष्ट ने अपनी कलम से पहाड़ और अपने क्षेत्र के लिए काम किया ही, साथ ही अपने क्षेत्र की सड़क, बिजली, शिक्षा व संचार जैसी प्रमुख समस्याओं के लिए भी एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अहम भूमिका निभाई। वर्तमान में वह अपने इस सीमांत क्षेत्र घेस को औद्यानिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। अर्जुन बिष्ट पिछले करीब 7 वर्षों से सेब और दूसरे फलों की बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उन्ही के प्रयासों का नतीजा है कि आज क्षेत्र में बागवानी के प्रति काफी जागरूकता आई है और क्षेत्र में आज 15 हजार से अधिक फलदार पेड़ लग चुके हैं। इसके कारण आज घेस को प्रदेश में नई पहचान मिली है।
अर्जुन बिष्ट ने समय-समय पर मैती आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए जनजागरुकता कार्यक्रम किए और समय समय पर अपने लेखों के माध्यम से मैती आंदोलन के पर्यावरण बचाने का संदेश अपनी लेखनी से लोगों तक पहुंचाया। इस आंदोलन के प्रणेता और पद्मश्री कल्याण सिंह रावत मैती ने बताया कि पिछले वर्षों कोरोना के डर से कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा सका। जिस कारण चयनित लोगों को यह पुरस्कार नहीं दिया जा सका था। इसलिए इस बार सभी को यह पुरस्कार दिया जायेगा।
कार्यक्रम में रियर एडमिरल राणा, पूर्व एडीजी आईसी एफआरआई देहरादून डॉ. विजय राज सिंह रावत, पर्यटन विभाग श्रीनगर के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सर्वेश उनियाल, जिला पंचायत चमोली के उपाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह रावत, नारायणबगड़ के ब्लाक प्रमुख यशपाल सिंह नेगी आदि के भाग लेने की संभावना है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मैती संस्था देहरादून की अध्यक्ष चंद्रावती असवाल, क्षेपंस सरस्वती देवी, सणकोट की सरपंच धनुली देवी, ममंद अध्यक्ष यशोदा देवी, युमंद अध्यक्ष दिगंबर सिंह बिष्ट, मंदिर समिति अध्यक्ष हरेंद्र नेगी को विशेष जिम्मेदारी दी गई है।

कल्याण सिंह रावत ने बताया कि इस बार जिन लोगों को पुरस्कृत किया जाना है, उनमें व्यापार कर अधिकारी रामनगर सितेश्वर आनंद, हेनवविवि परिसर पौड़ी के निदेशक डॉ. प्रभाकर बड़ोनी, पिंडर घाटी के प्रसिद्ध समाजसेवी डॉ. हरपाल सिंह नेगी, माल देवता देहरादून के प्रवक्ता गिरीश चन्द्र पुरोहित, देहरादून के वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन बिष्ट, गौचर रेंज के रेंजर पंकज ध्यानी, कोट मल्ला के प्रधानाध्यापक सतेन्द्र भंडारी, तेफना के प्रधानाध्यापक मनोज सती, पत्रकार हरेंद्र बिष्ट एवं नियो विजन फाउंडेशन देहरादून के गजेंद्र रमोला को मैती सम्मान से नवाजा जाएगा। इस दौरान पर्यावरण संरक्षण के अलावा विश्व के लिए बेहद संवेदनशील बुग्यालों के संरक्षण एवं संवर्धन पर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी।

Khabri Bhula

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *