चारधाम यात्रा : बच्चों का खेल नहीं, पहाड़ पर चढ़ाई!

 चारधाम यात्रा : बच्चों का खेल नहीं, पहाड़ पर चढ़ाई!

● जान पर भारी पड़ रही जरा सी ढिलाई, इसके बावजूद पूरी तरह फिट न होने पर भी मौत से खेल रहे तीर्थयात्री

रुद्रप्रयाग। जीवन में एक बार चारधाम यात्रा पर आना हर आस्थावान हिन्दू का सपना रहता है, लेकिन जो पूरी तरह से फिट नहीं है, यात्रा के दौरान उनकी जान पर खतरा बना रहता है और कई बार मौत तक हो जाती है। विषम चढ़ाई वाले रास्ते और उस पर बदले मौसम के साथ हवा में ऑक्सीजन की कमी यात्रा को दुश्वार बना देती है।हालांकि यात्रा मार्ग पर जगह-जगह ब्लड प्रेशर समेत अन्य जरूरी जांच कर यात्रियों को आगाह किया जा रहा है, लेकिन डॉक्टरों की सलाह को दरकिनार कर जोश में कम समय में यात्रा पूरी करने निकलने वाले लोग अपनी जान को खतरे में डाल रहे हैं। कोविड हिस्ट्री वालों के लिए भी खतरा बढ़ जाता है क्योंकि स्वस्थ होने के बाद भी उनके फेफड़े उतने मजबूत नहीं माने जाते कि पहाड़ी क्षेत्र में कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में चढ़ाई वाली यात्रा का दबाव झेल सकें।विषम भौगोलिक परिस्थितियां पहुंच मार्ग पर चढ़ाई और बदलते मौसम से यात्रियों की तबियत खराब हो रही है, जिसमें कुछ को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। समुद्रतल से 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में ऑक्सीजन का दबाव काफी कम है। यहां मौसम के खराब होते ही चारों तरफ कोहरा छाने और बर्फबारी से दिन-दोपहर में ही सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। यहां कई यात्रियों को धड़कन बढ़ने, बेचैनी, चक्कर आने और सीने में दर्द की शिकायत होती है, जो हृदयाघात का कारण बनती है।सीएमएस डॉ. मनोज बडोनी ने बताया कि पोस्टमार्टम में लोगों के दिल पर अधिक दबाव पड़ने से मौत होने की पुष्टि हुई है। इसलिये मैदानी क्षेत्र से पहाड़ में आने के लिए यात्री अपनी स्वास्थ्य जांच कराएं और अपने साथ जरूरी दवा जरूर रखें। केदारनाथ क्षेत्र में ऑक्सीजन 55 से 57 फीसद है, जिसमें कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत होना आम है। ऐसे में जरूरी है कि पहले से एहतियात बरतें।वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजीव गैरोला ने बताया कि केदारनाथ आने वाले यात्रियों को अपने साथ छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर लाना चाहिए। साथ ही गर्म कपड़े अति आवश्यक हैं। पैदल मार्ग से धाम पहुंचने वाले यात्री रास्ते में कमीज या टीशर्ट में ही चल रहे हैं। ऐसे में ऊपर पहुंचते ही ठंड से तबियत खराब हो रही है। साथ ही खाली पेट न रहा जाए और पीने के लिए गर्म पानी का उपयोग हो।अभी तक धामों में हुई मौतों में बीपी के मरीजों की संख्या अधिक है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार भी यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले अधिकांश तीर्थयात्री मेडिकल अनफिट हैं, जिन्हें बीपी, दमा व शुगर जैसी बीमारियां हैं। चढ़ाई चढ़ने पर अक्सर शुगर लेवल गिरने की संभावना रहती है, जिससे कार्डियक अरेस्ट होने की संभावना रहती है। वहीं यात्रा मार्ग पर अधिक चढ़ाई दमा के मरीजों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है।अधिकांश यात्री ट्रेवलिंग एजेंसियों के चक्कर में आकर जल्द से जल्द चारधाम यात्रा पूर्ण करने का कार्यक्रम बनाते हैं, जो काफी खतरनाक है। चढ़ाई पर एक निश्चित सफर तय करने के बाद शरीर को आराम की आवश्यकता होती है। लेकिन तीर्थयात्री यमुनोत्री धाम के करीब 6 किमी पैदल मार्ग को कुछ ही घंटों में तय करना चाहते हैं। तीर्थ यात्री चारधाम यात्रा में जल्दबाजी न करें। यात्रा के लिए पर्याप्त समय निर्धारित करें। यदि किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो दवाइयां लेकर साथ चलें। यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान चिकित्सकों द्वारा दी गई सलाह पर गंभीरता से विचार करें।चमोली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसपी कुड़ियाल ने बताया कि उच्च हिमालय क्षेत्रों में ऑक्सीजन कम होती है, जिससे बुजुर्गों, सांस की बीमारी, हृदय रोगियों को सांस से संबंधी दिक्कतें हो जाती है। फेफड़ों में सूजन आने से सांस लेना दूभर हो जाता है। इससे बचने के लिए तीर्थयात्रियों को यात्रा पर जाने के लिए पर्याप्त समय लेकर आना चाहिए।उन्होंने बताया कि छह से आठ हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचने पर यात्री को यहां कम से कम 24 घंटे विश्राम करना चाहिए, जिससे शरीर में विपरीत प्रभावों से लड़ने की क्षमता पैदा हो जाती है। तीर्थयात्री पहले निचले क्षेत्रों में कुछ समय बिताने के बाद ही 10 हजार फीट की ऊंचाई पर सफर करें।

Khabri Bhula

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