मुस्लिम तय करें, इस्लाम अमल-ए-रसूल है या अमल-ए-बादशाह – भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता का बयान
देहरादून। आज सोमवार को राजधानी में विश्व संवाद केंद्र के एक कार्यक्रम में प्रतिभाग करने पहुंचे राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मुस्लिम समाज को तय करना है कि इस्लाम अमल-ए-रसूल है या अमल-ए-बादशाह। आप मोहम्मद साहब की शिक्षाओं को मानने वाले हैं या बादशाहों की सियासत में फंसने वाले हैं।
काशी में ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हमारे पुराणों में काशी और ज्ञानवापी दोनों का उल्लेख है। संस्कृत के एक श्लोक का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि देव के दक्षिण भाग में वापी सुशोभित हैं, जिसका जल पीने से पुनर्जन्म नहीं होता है। वहीं मुस्लिम समुदाय में ज्ञान और वापी दोनों शब्दों की परंपरा कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी का विषय हिंदू-मुस्लिम का विषय नहीं है। यह देश में एक ऐतिहासिक परिवर्तन का विषय है।
उन्होंने कहा कि उनके हिसाब से आज के मुस्लिम समाज का मुगलों से कोई नाता नहीं है। मुगल वंश की शुरुआत बाबर से होती है, जिसके पिता उज्बेक और मां मंगोल थी। वह दावे के साथ कह सकते हैं कि आज के विज्ञान के हिसाब से जीनोम की सिक्वेंसिंग करा ली जाए तो किसी मुस्लिम का उज्बेक और मंगोल डीएनए से कोई कनेक्शन नहीं निकलेगा।
कांग्रेस के भारत जोड़ो अभियान पर चुटकी लेते हुए त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस को पहले अपने नेताओं को जोड़ना चाहिए, तब भारत को जोड़ने की बात करनी चाहिए। उनके तमाम नेता लगातार पार्टी से छिटक रहे हैं। देशभर में कई ऐसे बड़े नेता हैं, जो कांग्रेस को छोड़ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि जो पार्टी यह दावा करती है कि उसने भारत की आजादी में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी, आज जब उसके नेता उन्हीं के देश में जाकर भारत पर लांछन लगाते हैं। यह बहुत दुख की बात है। जबकि 1995 में नरसिम्हा राव सरकार के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी के जिनेवा में देश का प्रतिनिधित्व किया था। तब लोगों ने उनसे पूछा था, आप तो विपक्ष के नेता हैं। तब उन्होंने कहा कि हमारा आपस में घनघोर विरोध हो सकता है, लेकिन हम अपने घर के मसले को अपने घर में ही हल करेंगे।