कभी अनजान तो कभी ‘हारे’ को भी ‘हार’ पहना देता है भाजपा आलाकमान!

 कभी अनजान तो कभी ‘हारे’ को भी ‘हार’ पहना देता है भाजपा आलाकमान!

देहरादून। भाजपा में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी कब किस नेता को फर्श से अर्श और अर्श से फर्श पर ला कर बैठा दे, ये कोई नहीं जानता। भाजपा में कभी किसी अनजान चेहरे तो कभी जनता के ठुकराये यानी चुनावी मैदान में धूल चाटने वालों को सिंहासन पर विराजमान कर सियासत में एक नई परंपरा शुरू हो गई है। इसी क्रम में भाजपा हाईकमान ने उत्तराखंड में अपने फैसले से एक बार फिर सबको चौंका दिया है। यहां पार्टी ने कम चर्चित और मीडिया में चेहरा कम दिखाने वाले नेता महेंद्र भट्ट को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि ये महेंद्र भट्ट वो नेता हैं जब भाजपा को उत्तराखंड में 47 सीटों के साथ बंपर बहुमत मिला तो वो चमोली जिले की बदरीनाथ सीट गंवा बैठे थे। इसके बावजूद पार्टी हाईकमान ने महेंद्र को उत्तराखंड भाजपा का सर्वेसर्वा बनाकर फिर संदेश दिया कि उनके फैसलों के बारे में कयास लगाना मीडिया या सियासी पंडितों के बस की बात नहीं है।
गौरतलब है कि 50 साल के महेंद्र 1991 से 1996 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश सह मंत्री, जिला संयोजक, जिला संगठन मंत्री, विभाग संगठन मंत्री का दायित्व संभाल चुके हैं। वह 1997 में भाजयुमो का प्रदेश सह मंत्री रहे। 1998 से 2000 में उत्तरांचल युवा मोर्चा में प्रदेश महामंत्री का दायित्व संभाला। इसके बाद 2000 से 2002 में राज्य निर्माण के समय उत्तरांचल प्रदेश युवा मोर्चा का प्रथम प्रदेश अध्यक्ष रहे। 32 साल की उम्र में पहली बार विधायक बनने वाले भट्ट ने भाजपा के लिए और भी बहुत कुछ किया है। शायद इसी का इनाम पार्टी हाईकमान ने उन्हें चुनाव हारने के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दिया है।
इससे पहले 10 मार्च 2022 को जब उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम आए थे तो तत्कालीन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए थे। आम लोगों और राजनीतिक पंडितों ने ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ को लेकर खूब कयासबाजी की थी। तब भाजपा हाईकमान ने हार के बावजूद धामी को फिर से मुख्यमंत्री बनाया तो सभी चौंक गये। सीएम बनने के बाद धामी ने चंपावत से उपचुनाव लड़ा और विधानसभा सदस्य बने।
इसी तरह 2021 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया था। उस समय के अचानक तेजी के साथ बदले घटनाक्रम में त्रिवेंद्र की विदाई की गई थी, लेकिन सिर्फ 4 महीने के अंदर जब तीरथ को सीएम पद से हटाया गया था तो तब धामी का सीएम की रेस में कहीं नाम भी नहीं था। जुलाई 2021 में जब तीरथ मुख्यमंत्री पद से हटाए गए थे तो राजनीति के धुरंधर रमेश पोखरियाल निशंक, धन सिंह रावत, सतपाल महाराज, अजय भट्ट के नाम की चर्चा मुख्यमंत्री पद के लिए किये रहे थे।
उस समय कई मौकों पर धन सिंह तो खुद भी इतने उत्साहित हो गए थे कि अघोषित रूप से लोग उन्हें ही मुख्यमंत्री मानने लगे थे। इन सारे कयासों को धता बताते हुए हाईकमान ने धामी को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया था। हालांकि उस समय खुद पुष्कर ने कहा था कि उन्हें कतई भी अनुमान नहीं था कि वो सीएम बनने जा रहे हैं।
उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों में भी भाजपा ने अपने फैसलों से लोगों को चौंकाया है। उत्तर प्रदेश में 2017 में, हरियाणा में 2014 में और महाराष्ट्र में 2014 में जो नाम मुख्यमंत्री पद की चर्चा में नहीं थे, उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। योगी आदित्यनाथ, मनोहर लाल खट्टर और देवेंद्र फडणवीस को भी मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा आलाकमान से सबको चौंकाया था।

Khabri Bhula

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