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धराली में अभी भी चुनौती बरकरार, अब तक 1278 लोगों को निकाला गया सुरक्षित

उत्तरकाशी। जिले के धराली आपदा में प्रशासन ने 68 लोगों के लापता होने की पुष्टि कर दी है। इसमें नेपाल मूल के 25 मजदूर भी शामिल हैं। आपदा के आठवें दिन मंगलवार को बचाव व राहत कार्य जारी रहा। लेकिन संचार सेवा बाधित होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ा। स्थानीय लोगों का एक-दूसरे से संपर्क नहीं हो पाया।
धराली आपदा में स्निफर डॉग्स और तमाम उपकरणों के बाद भी मलबे में शवों को निकाल पाना नामुमकिन सा हो रहा है। सेना और SDRF ने प्रशिक्षित डॉग्स की मदद से कई पॉइंट्स चिन्हित किए हैं, लेकिन दलदली जमीन और बड़े-बड़े बोल्डर के बीच यहां से मलबा निकाल पाना मुश्किल हो रहा है। उधर बड़ी चुनौती यह है कि करीब 30 से 40 फीट नीचे यदि कोई दबा भी है तो उस जगह को पक्के तौर पर ढूंढ पाना आसान नहीं है। शायद इसीलिए मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालना अब नामुमकिन सा हो रहा है।
धराली में भारी मालबे से आई आपदा को अब एक हफ्ता पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक इतनी बड़ी आपदा में केवल कुछ एक शव ही ढूंढे जा सके हैं। खास बात यह है कि खीरगंगा से आया लाखों टन मलबा आज धराली बाजार के ऊपर पसरा हुआ है। एक पूरा बड़ा बाजार मलबे के नीचे है। जाहिर है कि जिस बाजार में 65 होटल 30 से ज्यादा रिजॉर्ट और होमस्टे समेत तमाम दुकानें मौजूद हो उसके ऊपर 25 से 30 फीट और कहीं-कहीं 40 फीट मलबा आने से सब कुछ जमींदोज हो चुका है।
भारी तबाही के बीच राहत एवं बचाव कार्य तो पूरा हो चुका है, लेकिन, अब उससे भी कठिन सर्च ऑपरेशन करना दिखाई दे रहा है। लाखों टन मलबे के नीचे कई शवों के होने की उम्मीद है, लेकिन सेना और एसडीआरएफ भारी मशीनों और स्निफर डॉग्स की मदद से भी इन शवों को मलबे के नीचे नहीं ढूंढ पा रही हैं।
बता दें कि राहत और बचाव कार्य के लिए सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, पुलिस और आपदा प्रबंधन की क्यूआरटी मैदान में उतरी हैं। राहत के लिए चिनूक, एमआई-17 और आठ अन्य हेलीकॉप्टर तैनात किए गए। युद्धस्तर पर चलाए गए हेली रेस्क्यू अभियान में अब तक 1278 लोगों को सुरक्षित निकालकर उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। इनमें सात गर्भवती महिलाएं भी हैं। जिन्हें जिला अस्पताल पहुंचाकर डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।