हरकनामा : 20 साल के सियासी सफर में पहली बार यह कसक रह गई बाकी!

 हरकनामा : 20 साल के सियासी सफर में पहली बार यह कसक रह गई बाकी!

देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में अपनी हनक के लिये चर्चित नेता हरक सिंह रावत दो दशक के चुनावी इतिहास में पहली बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस में जाने के बाद उन्होंने अपनी हसरत जाहिर करते हुए कहा था कि वह चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिये इच्छुक है। खुद हरक का कहना था कि पार्टी यदि चुनाव लड़ने के लिए कहेगी तो वह चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। अब सब सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो चुकी है और उनकी चुनाव लड़ने की कसक बाकी रह गई।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में हरक की डोईवाला, केदारनाथ, यमकेश्वर या लैंसडौन विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने चर्चाएं जोरों पर थीं। हरक खुद बयान दे रहे थे कि वह इन चारों सीटों में से कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा से विदाई और कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनके चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ने की अटकलें शुरू हो गईं। चर्चा उनके डोईवाला से चुनाव लड़ने को लेकर भी थी। इसके लिये हरक ने अपनी इच्छा भी जताई थी, लेकिन गुरुवार को कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी और इसके साथ ही उनके चुनाव लड़ने की संभावनाएं भी खत्म हो गईं।
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा से निकाले जाने से पहले से ही हरक लगातार यह बयान दे रहे थे कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते। हालांकि भाजपा ने जब उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया तो यही वजह बताई गई कि हरक सिंह अपने लिए, अपनी पुत्रवधू के लिए और एक अन्य महिला के लिये टिकट की मांग कर रहे थे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन से तो टिकट मिल गया। लेकिन हरक को कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं बनाया।
बीते गुरुवार को कांग्रेस ने अपनी सभी शेष विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। आज शुक्रवार को नामांकन का आखिरी दिन है। तीन दशक की चुनावी सियासत में पहली बार हरक सिंह रावत को पार्टी टिकट नहीं मिला है।
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद अब तक हुए सभी विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत ने ताल ठोकी थी और विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने 2002 में वह लैंसडौन सीट से चुनाव जीते थे। वह वर्ष 2007 में भी लैंसडौन से चुनाव जीते। 2012 में उन्होंने रुद्रप्रयाग से चुनाव लड़ा और जीता। 2017 में वह कोटद्वार विस से चुनाव जीते। आगे का उनका सियासी सफर का क्या होगा, इसका खुलासा 2024 के लोकसभा चुनाव तय करेंगे।

Khabri Bhula

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