उत्तराखंड : भाजपाई छौ, अब कांग्रेसि कट्टर, चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…देखें वीडियो
लोक गायक ने दिखाया आईना
- चुनावी राजनीति पर तंज करती लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी की कविता सोशल मीडिया पर वायरल
- अपनी चिर-परिचित शैली में चुनाव के दौरान दलबदलू नेताओं पर भी जमकर किया कटाक्ष
देहरादून। ‘टिकट दावेदार मेरो सैरो परिवार, चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…’ कुछ इस अंदाज में प्रख्यात लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने रंग बदलती चुनावी सियासत पर तंज किया है। उनकी यह कविता सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।
चुनाव से पहले नरेंद्र सिंह नेगी फिर चर्चाओं में हैं। अपनी चिर-परिचित शैली में उन्होंने जहां लोगों से लोकतंत्र के उत्सव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की है, वहीं चुनाव के दौरान दलबदलू नेताओं पर भी जमकर कटाक्ष किया है। उन्होंने परिवारवाद की राजनीति के साथ नेताओं की योग्यता पर भी अपनी व्यंगात्मक कविता में तंज किया है। उनकी यह कविता सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।
वीडियो में लोक गायक खुद कविता की पंक्तियां पढ़ रहे हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने से की है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर हमारे सामने वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव है। अब नेताओं के साथ-साथ हमारी भी परीक्षा की घड़ी है। एक लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने के नाते उनका सभी भाई बहनों से हाथ जोड़कर निवेदन है कि अपना वोट जरूर दें। लेकिन उन्होंने आगह भी किया है कि अपना वोट सोच-समझकर दें। जो उम्मीदवार आपके सामने हैं, उन्हें अच्छी तरह जांच परख लें। ईमानदार, अच्छे चरित्र वाले व्यक्ति और उत्तराखंड के विकास को समर्पित व्यक्ति को ही वोट दें।
उन्होंने कहा कि आजकल हम देख रहे हैं कि हमारे नेताओं का चाल-चरित्र कुछ बदला-बदला सा लग रहा है, इसी को उन्होंने एक व्यंग्यात्मक कविता के रूप में प्रस्तुत किया है। इस कविता को उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर भी शेयर किया है। जिसे 24 घंटे में खबर लिखे जाने तक 88 हजार लोग देख चुके थे। इसके अलावा छह हजार नौ सौ से अधिक लोगों के लाइक मिल चुके थे। इसके अलावा 484 लोगों ने कॉमेंट किया तो एक हजार तीन सौ लोगों ने उनके इस वीडियो को शेयर कर दिया था।
उनकी कविता की लाइनें कुछ इस तरह हैं…
सार-तार तेरि सब बिंगणू छौं
सुभौ मा मिश्री, छुयूंमा सक्कर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…
ब्यालि परसि तक सेवा भि नि परची
आज बोनू सैरो भरोंसू त्वे पर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…
एक्की टोपला म बल जुव्वां पड़ जांदन
भाजपाई छौ, अब कांग्रेसि कट्टर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…
कैकु दल और कैकी नीति
हम यख छां, जख सत्ता की र्झरफर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…
टिकट दावेदार मेरो सैरो परिवार
चा घोड़ा गधा हो, चा हो खच्चर
चुनौ को चक्कर, चुनौ को चक्कर…
(नरेंद्र सिंह नेगी अपनी कविता में कह रहे हैं- तेरी सारी बात मैं जान रहा हूं, जुबान पर मिश्री और बातों में शक्कर है। यह चुनाव का चक्कर है। कल, परसों तक तू नमस्कार भी नहीं करता था, आज बोल रहा है, सारा भरोसा तुम पर ही है। लगातार एक ही टोपी पहनते हुए सिर में जूं पड़ जाते हैं, पहले भाजपाई था, अब कट्टर कांग्रेसी हूं। मेरा सारा परिवार टिकट का दावेदार, वह चाहे घोड़ा-गधा हो या खच्चर। किसका दल और किसकी नीति, हम वहीं रहेंगे, जहां सत्ता की चमक-दमक होगी।) उनकी यह कविता खूब वायरल हो रही है।