कक्षा दो तक कोई लिखित परीक्षा नहीं, मूल्यांकन से बच्चों पर न पड़े अतिरिक्त दबाव
उत्तराखंड: केंद्र सरकार के 2020 के नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा में कही परिवर्तन किए जा रहे है। दरअसल राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) ने एक मसौदा तैयार किया है इसके तहत दूसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए लिखित परीक्षा को पूर्ण रूप से अनुपयुक्त बताया गया। साथ ही लिखित परीक्षा तीसरी कक्षा से शुरू करने का सुझाव दिया गया। मसौदे के कहे अनुसार मूल्यांकन की पद्धति ऐसी होनी चाहिए जिससे छात्र पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़े।
नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार तैयार किए जा रहे एनसीएफ में यह भी कहा गया है कि छात्रों के मूल्यांकन के लिए दो महत्वपूर्ण पद्धतियों में बुनियादी स्तर पर बच्चे के आकलन और सीखने के दौरान उसके द्वारा तैयार सामग्री का विश्लेषण अहम है। इसमें यह भी कहा गया है कि विशिष्ट जांच और परीक्षा बुनियादी स्तर अर्थात दूसरी कक्षा तक के बच्चों के मूल्यांकन के लिए पूरी तरह से अनुपयुक्त हैं। एनसीएफ के मसौदे में कहा गया है कि बच्चों के बीच और उनके पठन पाठन के दौरान मूल्यांकन में विविधता को बढ़ावा देना चाहिए।
एनसीएफ के मसौदे में सुझाव दिया गया है कि मध्य चरण यानी कक्षा छह से आठवीं तक में पाठ्यक्रम का ध्यान वैचारिक समझ और उच्च स्तर की क्षमताओं पर केंद्रित होना चाहिए। वहीं, सीखने का आकलन करने के लिए प्रोजेक्ट, डिबेट, प्रजेंटेशन, प्रैक्टिकल, इन्वेस्टिगेशन्स, रोल प्ले, पत्रिकाओं और पोर्टफोलियो जैसी कक्षा मूल्यांकन तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। मूल्यांकन में बहुविकल्पीय प्रश्न और लघु और दीर्घ प्रश्न उत्तर समय-समय पर उपयोग किए जा सकते हैं।