जोशीमठ: नहीं उजड़ेंगे आशियाने, प्रभावितों को दिया जाएगा डेढ़ लाख रुपये का मुआवजा
जोशीमठ। उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। भूधंसाव के कारण घरों और होटलों में आई दरारों के बीच अब इन्हें जमीदोंज किया जा रहा है। बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब का गेटवे कही जाने वाली आदि शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ की भूमि लगातार धंस रही है। अब तक दरार वाले भवनों की संख्या 723 पहुंच गई है। इनमें से 86 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित कर लाल निशान लगा दिए गए हैं। जोशीमठ में जिन 723 घरों में दरारें आई हैं, उनके रहवासियों को अभी डेढ़ लाख की मदद की जाएगी। 50 हजार शिफ्टिंग के लिए और मुआवजे के एडवांस के तौर पर एक लाख रुपए दिए जाएंगे। फाइनल मुआवजा क्या होगा, ये बाद तय किया जाएगा।
प्रभावित परिवारों से बुधवार को बातचीत के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव एम सुंदरम ने फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अभी कोई घर नहीं तोड़ा जाएगा, केवल 2 होटल तोड़े जाएंगे। घरों पर लाल निशान उन्हें खाली करने के लिए लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि होटल मालिकों से भी बातचीत हो गई है, वे प्रशासनिक कार्रवाई में सहयोग के लिए राजी हैं।
वहीं जोशीमठ में बुडोजर एक्शन से पहले मौसम ने करवट ली है, पहाड़ियों पर जहां बर्फबारी हो रही है। इसके साथ ही 14 जनवरी तक बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। भू-धंसाव के बाद बनी दरारें और गहरा सकती हैं और पानी के नए स्रोत भी फूट सकते हैं। इससे भू-कटाव बढ़ेगा। जोशीमठ के ज्यादातर ढलान अस्थिर हैं। भू-धंसाव के कारण तमाम सेफ्टी टैंक भी लिकेज हुए होंगे, जिनका पानी भी रास्ता तलाशेगा। जिससे स्थिति भयावह हो सकती है। शासन-प्रशासन भी इस स्थिति को लेकर चिंतित है।
बता दें, कि अब तक जिला प्रशासन ने 462 परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया है. मंगलवार को 381 लोगों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया गया, वहीं, इससे पहले 81 परिवारों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया गया था। प्रशासन ने इसको लेकर विभिन्न संस्थाओं और भवनों के कमरों का अधिग्रहण किया है, जहां इनके रहने की व्यवस्था