भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मू, बोलीं- मेरे लिए जनता का हित सर्वोपरि
नई दिल्ली। द्रौपदी मुर्मू ने आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद यानी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण किया। भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण ने उन्हें संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हाॅल में पद एचं गोपनीयता की शपथ दिलाई।द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। साथ ही वह सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने वाली पहली आदिवासी महिला और स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मुझे इस बात की संतुष्टि है कि जो लोग वर्षों से विकास से वंचित थे–गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी- मुझे अपने प्रतिबिंब के रूप में देख सकते हैं। मेरे नामांकन के पीछे गरीबों का आशीर्वाद है, यह करोड़ों महिलाओं के सपनों और क्षमताओं का प्रतिबिंब है।
उन्होंने कहा, “भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं देश की पहली राष्ट्रपति हूं जिसका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ। स्वतंत्र भारत के नागरिकों के साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, सभी भारतीयों की अपेक्षाओंए आकांक्षाओं और अधिकारों के प्रतीक, संसद में खड़े होकर मैं आप सभी का नम्रतापूर्वक आभार व्यक्त करती हूं। इस नई जिम्मेदारी को निभाने के लिए आपका विश्वास और समर्थन मेरे लिए एक बड़ी ताकत होगी।