देश का पहला आध्यात्मिक इको जोन बनेगा जागेश्वर धाम
सीएम की पहल
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव को प्रदेश सरकार ने पहनाया अमली जामा
- अल्मोड़ा के जागेश्वर को स्प्रिचुअल इको जोन बनाने का प्रस्ताव तैयार
- आध्यात्मिक इको जोन के दायरे में आएगा 10 किलोमीटर का क्षेत्र
- अध्यात्म के साथ ही योग, ध्यान, पंचकर्मा, वेलनेस को देंगे बढ़ावा
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव को अमली जामा पहनाते हुए प्रदेश सरकार अल्मोड़ा में देश का पहला स्प्रिचुअल इको जोन बनाने जा रही है। इसके लिए विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम को चुना गया है।
सरकार की योजना के मुताबिक इस आध्यात्मिक धार्मिक नगरी के 10 किलोमीटर के दायरे में यह विशेष जोन विकसित किया जाएगा। आध्यात्मिक विकास के लिए प्रदेश सरकार रियायतें भी घोषित करेगी। इन रियायतों और अन्य औपचारिकताओं को शासन स्तर पर उच्च स्तरीय बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा।
गौरतलब है कि देहरादून में ही इन्वेस्टर समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्प्रिचुअल इको जोन के बारे में बात की थी। पीएम ने कहा था कि उत्तराखंड में इस तरह के केंद्र विकसित किए जाने चाहिए जो विश्व को आध्यात्मिक ऊर्जा दे सकें और आध्यात्मिकता के केंद्र बन सकें। मोदी के इसी सुझाव को अब प्रदेश सरकार अमली जामा पहनाने जा रही है।
मुख्यमंत्री की पहल पर उद्योग विभाग ने उत्तराखंड और देश का पहला आध्यात्मिक इको जोन बनाने के लिए अल्मोड़ा जिले के जागेश्वर धाम का चयन किया है। जागेश्वर मंदिर समूह के 10 किलोमीटर क्षेत्र को आध्यात्मिक इको जोन के दायरे में लाने का खाका तैयार किया जा रहा है। जहां पर आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ योग, ध्यान, पंचकर्मा, वेलनेस को बढ़ावा दिया जाएगा। स्प्रिचुअल इको जोन में आध्यात्मिक गतिविधियों के विकास के लिए विशेष सुविधाओं के विकास पर ध्यान दिया जाएगा। यहां आध्यात्मिक चिंतन मनन से लेकर ध्यान और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जागेश्वर धाम को 12 ज्योर्तिलिंगों में एक माना जाता है। यहां पर छोटे व बड़े करीब 125 मंदिरों का समूह है। जागेश्वर मंदिरों का निर्माण कत्यूरी राजाओं ने करवाया था। पहाड़ियों के बीच स्थापित जागेश्वर धाम बेहद खूबसूरत है। इसकी पुष्टि करते हुए प्रमुख सचिव, उद्योग विभाग मनीषा पंवार ने बताया कि प्रदेश में स्प्रिचुअल इको जोन बनाने की योजना है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। जल्द ही शासन की उच्च स्तरीय बैठक में इसका प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा।