चारधाम और अन्य मंदिरों की संपत्तियों पर कुंडली मारे बैठे लोगों का खत्म होगा ‘खेल’!
श्राइन बोर्ड के विरोध के पीछे का स्याह सच
- उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड के बारे में भ्रांतियां फैलाकर साजिश के तहत विरोध का माहौल बना रहे ऐसे ही लोग
- श्राइन बोर्ड के अस्तित्व में आते ही चारधाम और अन्य समस्त धार्मिक स्थलों की संपत्तियों पर बोर्ड का होगा एकाधिकार
देहरादून। वैष्णो देवी माता मंदिर, साईंबाबा, जगन्नाथ और सोमनाथ मंदिरों की आय और संपत्ति के बेहतरीन प्रबंधन के साथ ही तीर्थयात्रियों के लिये निशुल्क सुविधाओं से वहां संचालित श्राइन बोर्ड मील के पत्थर साबित हुए हैं। इसके साथ तमाम श्राइन बोर्ड जनहित की अनेक योजनायें भी चला रहे हैं। जबकि श्राइन बोर्ड गठित किये जाने से पहले वहां भी अव्यवस्थाओं का बोलबाला था और इन विश्वविख्यात धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण की भरमार थी। वहां जाने वाले श्रद्धालु भी उत्तराखंड में आने वाले तीर्थयात्रियों की तरह परेशान, प्रताड़ित और लूट खसोट का शिकार होकर ही लौटते थे।
उत्तराखंड में आ रहे श्रद्धालुओं की ओर लगातार मिल रही शिकायतों के कारण त्रिवेंद्र सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और काफी मनन—मंथन के बाद उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड को अस्तित्व में लाने के लिये विधेयक का प्रारूप तैयार किया गया। जिसे लेकर पंडों, पुरोहितों के साथ ही विपक्ष द्वारा भ्रांतियां फैलाकर एक विरोध का माहौल बनाया जा रहा है ताकि इसके जरिये चारधाम और देवभूमि के अन्य पौराणिक धार्मिक स्थलों की चल और संपत्तियों पर अवैध कब्जे जमाये लोगों की करतूतें जनता के सामने न आ सकें। जबकि चारधाम श्राइन बोर्ड के मसौदे में साफ कहा गया है कि पुजारी, न्यासी, तीर्थ पुरोहितों, पंडों और तमाम हक हकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देय दस्तूरात/अधिकार के मामले पहले की तरह बने रहेंगे और उनमें किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया जाएगा। तो अब सवाल उठता है कि पुरोहित पंडों को आगे कर कौन लोग हंगामा कर रहे हैं और इसके पीछे उनका मंतव्य क्या है।
इस बारे में श्राइन बोर्ड की जद में चारधाम और अन्य पौराणिक व धार्मिक स्थलों के पास रहने वाले लोगों का कहना है कि चारधाम और अन्य धार्मिक मंदिरों की चल और अचल संपत्तियों पर हजारों लोग अवैध रूप से कब्जा जमाये बैठे हैं। श्राइन बोर्ड के अस्तित्व में आते ही उनका ‘खेल’ खत्म हो जाएगा जबकि इससे पारंपरिक पंडों और पुरोहितों को एक तरह से लाभ ही होगा।
जबकि चारधाम श्राइन बोर्ड के मसौदे में साफ लिखा गया है…बोर्ड के अस्तित्व में आने की तिथि से ही इसकी जद में आने वाले चारधाम व अन्य धार्मिक स्थलों की सभी संपत्तियां जो सरकार, जिला पंचायत, जिला परिषद, नगरपालिका या किसी स्थानीय प्राधिकारी या सरकार अथवा किसी कंपनी, सोसाइटी, संगठन, संस्था, समिति या अन्य व्यक्ति के कब्जे या निगरानी में हो या कोई समिति, पर्यवेक्षक जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त हो तो ऐसी सभी संपत्तियां बोर्ड के स्वामित्व में आ जाएंगी। साथ ही ऐसी सभी संपत्तियां जो सरकार, स्थानीय प्राधिकारी या उपर्युक्त व्यक्ति और ऐसे चलन के विरुद्ध सभी दायित्व उक्त तिथि को श्राइन बोर्ड में समाहित समझे जाएंगे।
इसके साथ ही श्राइन बोर्ड के मसौदे में बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में यह भी लिखा गया है… बोर्ड धार्मिक स्थल की सीमा के आसपास स्थित भूमि जो उसके समुचित विकास के लिये उचित समझेगा, उसे अर्जित कर सकेगा और उस समय अधिनियम के तहत आच्छादित चारधाम श्राइन बोर्ड के प्रयोजन के लिये दी गई या दान दी गई किसी संपत्ति का विनिमय द्वारा अंतरण, बिक्री, गिरवी या किसी अन्य रीति से पट्टे पर तब तक नहीं दी जाएगी जब तक बोर्ड के अनुमोदन के बाद मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा इसकी मंजूरी न दी गई हो। अगर ऐसा नहीं है तो इस प्रकार का कोई भी अंतरण शून्य और अप्रभावी होगा।
उत्तराखंड की आर्थिकी सुधारने और पलायन रोकने की दिशा में कार्यरत समाजसेवियों और जागरूक लोगों का मानना है कि इस उपधारा के प्रावधानों से ही चारधाम और अन्य धार्मिक स्थलों की संपत्तियों और जमीनों पर अवैध रूप कुंडली मारे लोगों में हड़कंप मचा है जबकि परंपरागत पंडों, पुजारियों और अन्य तमाम हकहकूकधारियों के लिये यह श्राइन बोर्ड उनकी आमदनी बढ़ाने वाला साबित होगा।
जानकारों का कहना है कि इस उपधारा के दूरगामी परिणाम होंगे और चारधाम सहित श्राइन बोर्ड के अधीन आने वाले तमाम धार्मिक स्थलों का तो कायाकल्प हो ही जाएगा, साथ ही हर वर्ष यहां आने वाले श्रद्धालुओं की उमड़ रही भीड़ के लिये भी समुचित सुविधायें जुटाई जा सकेंगी और तीर्थयात्री यहां से एक दैवीय और सुखद अनुभव लेकर जाएंगे। इसका एक और उल्लेखनीय पक्ष यह है कि चारधाम यात्रा मार्ग पर स्थित गांवों, कस्बों और शहरों में भी रोजगार के तमाम अवसर पैदा होंगे जिससे पलायन पर रोक लगेगी और दूरस्थ क्षेत्रों में जनकल्याणकारी योजनायें फलीभूत होने लगेंगी।
उल्लेखनीय है कि माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने श्रद्धालुओं के लिये कटरा में
निशुल्क धर्मशाला व गेस्ट हाउस, जम्मू में कटरा भवन के साथ ही अर्धक्वाँरी और सांझीछत भवन में आराम करने के लिए यात्री निशुल्क विश्राम गृह बनाये हैं। इसके साथ ही पूरे पैदल में यात्री शेल्टर और शेड, टॉयलेट, तीर्थयात्रियों के लिए इलेक्ट्रिक ऑटो, 12 भोजनालय, मेडिकल सुविधा, कटरा में अत्याधुनिक अस्पताल, यात्रियों का सामान रखने के लिए निशुल्क क्लॉक रूम, यात्रियों के लिए किराये पर कम्बल स्टोर, यात्रियों द्वारा भेंट के लिए दुकानें, यात्रा संस्मरण चीजें खरीदने के लिए दुकानें, रेलवे टिकट काउंटर, डाकघर, बैंक आदि की सुविधायें दी जा रही हैं। इनके अलावा स्थानीय परिवारों के लिये कॉलेज और संस्थायें भी जनहित में चलाई जा रही हैं।
इसी तरह तिरुपति बालाजी मंदिर में धर्मशाला (निशुल्क), तिरुमला और तिरुपति
में गेस्ट हाउस एवं कॉटेज, मंदिर में ठहरने के लिए निशुल्क विश्राम गृह,पूरे पैदल मार्ग में यात्री शेल्टर और शेड, टॉयलेट, तिरुमला और तिरुपति में यात्रियों के लिए निशुल्क बस सेवा, तिरुमला में निशुल्क भोजनालय, मेडिकल सुविधा, तिरुमला में अस्पताल, डिस्पेंसरी, तिरुपति में मेडिकल कॉलेज, तीर्थ यात्रियों का सामान रखने के लिए निशुल्क क्लॉक रूम, तिरुमला और तिरुपति में विवाह स्थल और मंडप, यात्रियों की भेंट के लिए दुकानें, तिरुमला में म्यूजियम, ऑटोमोबाइल क्लिनिक, रेलवे टिकट काउंटर, डाकघर, बैंक आदि सुविधायें प्रदान की जा रही है। जिससे वहां जाने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता।
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